सर्दी, गर्मी और बरसात में दर दर भटक रहे बीमार और बेघर गौवंश को देखकर दिल में काफी पीड़ा होती है . जिस भारत भूमि पर गाय को माता का दर्जा दिया गया, जिसे पूज्यनीय माना गया उसको इस तरह मारा काटा जाए और यह समाज चुपचाप यह अन्याय देखता रहे, यह दृश्य मन को झकझोर देता है।
हम जानते थे कि गौवंश सरकार या गौशालाओं के भरोसे नहीं बच सकता. गौवंश से अगर आमदनी शुरू हो जाए तो लोग इसे वापिस घरों में ले आएंगे, यहीं एक रास्ता गौवंश को बचा सकता है. इसी आधार पर गौपैथी ने 2010 में गहन शोध के बाद गौवर से हवन की लकड़ी बनानी शुरू की, जिसका नाम हमने "हवन समिधा" रखा।